Description
आज समाज में तरह-तरह की समस्याएँ विद्यमान हैं। पूरा संसार सामाजिक समस्याओं से त्रस्त हो रहा है। भारत की अवस्था तो और भी चिन्ता जनक है। यहाँ के समाज को अनेक प्रकार की समस्याओं ने जकड़ रखा है। आज चारों ओर शोषण, उत्पीड़न, घृणा, उपेक्षा, भ्रष्टाचार और अन्याय फैला हुआ है। किसी भी लेखक का समाज की इन दुर्दशाओं की ओर ध्यान जाना स्वाभाविक है। प्रस्तुत पुस्तक “भारतीय समाज में सामाजिक समस्याएँ” अनेक भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा स्वीकृत नवीन पाठ्यक्रमों को आधार बनाकर लिखी गई है। आधुनिक युग में समाजशास्त्र विषय का महत्व और लोकप्रियता में निरन्तर वृद्धि हो रही है अतः यह पुस्तक सभी विद्यार्थियों और नवीन शोधकर्ताओं के लिए अध्ययन हेतु महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। नवीन सामग्री सूचनाओं के लिए विषय से सम्बन्धित भारतीय एवं विदेशी विद्वानों की विश्व प्रसिद्ध कृतियों की सहायता ली गई है। प्रस्तुत पुस्तक में भारतीय सामाजिक समस्याओं की आलोचनात्मक दृष्टिकोण से व्याख्या की गई है। प्रत्येक सामाजिक समस्या के विविध कारकों का पता लगाने उसको सरल करने हेतु किये गये प्रयत्नों की जानकारी प्राप्त करने तथा उनके मूल्यांकन का प्रयास किया गया है। पुस्तक में संरचनात्मक पारिवारिक, विकास, विघटनात्मक समस्याओं पर समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से विचार किया गया है, साथ ही समस्याओं के समाधान के लिए यथायोग्य रचनात्मक सुझाव प्रदान किये गए है।